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7Ps of Marketing. 7Ps का उपयोग कैसे करें?

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि 7Ps of Marketing. 7Ps का उपयोग कैसे करें? दोस्तों जैसा कि आज के प्रतिस्पर्धी बिज़नेस वातावरण में सफलता केवल एक अच्छा प्रोडक्ट (Product) बनाने तक सीमित नहीं है। ग्राहक अब सिर्फ क्वालिटी नहीं देखते, बल्कि वे ब्रांड के साथ पूरे अनुभव (Customer Experience), प्राइसिंग (Pricing), सर्विस (Service) और कंपनी की विश्वसनीयता (Trust) को भी महत्व देते हैं।

इसीलिए किसी भी कंपनी के लिए सही Marketing Strategy अपनाना बेहद ज़रूरी है। इसमें सिर्फ प्रोडक्ट लॉन्च करना ही नहीं, बल्कि उसे सही ग्राहकों तक पहुँचाना (Place), आकर्षक तरीके से प्रमोट करना (Promotion), कस्टमर सर्विस और प्रोसेस को मजबूत बनाना (Process & People) और ब्रांड पर भरोसा कायम करना (Physical Evidence) शामिल है।

मार्केटिंग को बेहतर ढंग से समझाने और उसे व्यवस्थित रूप से लागू करने के लिए विशेषज्ञों ने 7Ps of Marketing का सिद्धांत विकसित किया है। इसे मार्केटिंग मिक्स के 7 स्तंभ भी कहा जाता है, जो हर छोटे-बड़े बिज़नेस के लिए एक रोडमैप की तरह काम करता है और उन्हें प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने में मदद करता है।

मार्केटिंग मिक्स क्या है?

मार्केटिंग मिक्स (Marketing Mix) एक ऐसा महत्वपूर्ण कॉन्सेप्ट है जो यह समझने में मदद करता है कि किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस को मार्केट में किस तरह से पेश किया जाए ताकि वह ग्राहकों की ज़रूरतों और उम्मीदों को पूरा कर सके और साथ ही व्यवसाय को सफलता भी दिला सके। यह केवल प्रोडक्ट बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें उसकी सही कीमत तय करना (Price), उसे सही बाज़ार या प्लेटफ़ॉर्म (Place) पर उपलब्ध कराना और ग्राहकों तक उसके बारे में सही तरह से जानकारी पहुँचाना (Promotion) भी शामिल है।

शुरुआत में मार्केटिंग मिक्स को केवल 4P Model के रूप में समझाया गया था, Product, Price, Place और Promotion। ये चार तत्व बिज़नेस के लिए काफी समय तक मुख्य आधार बने रहे। लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, ग्राहकों का व्यवहार (Consumer Behaviour) बदलने लगा और मार्केटिंग सिर्फ प्रोडक्ट-बेस्ड न रहकर Service Industry और Digital Marketing तक फैल गई।

इन्हीं बदलते हालात को देखते हुए इसमें तीन नए तत्व जोड़े गए, People (लोग), Process (प्रक्रिया) और Physical Evidence (भौतिक प्रमाण)। इन तीन Ps ने मार्केटिंग मिक्स को और अधिक व्यापक और प्रभावी बना दिया। अब यह सिर्फ प्रोडक्ट या सर्विस बेचने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ग्राहकों का अनुभव, कंपनी का काम करने का तरीका और ब्रांड की विश्वसनीयता भी शामिल हो गई है।

यही कारण है कि आज इसे केवल 4Ps नहीं बल्कि 7Ps of Marketing कहा जाता है, और यह आधुनिक बिज़नेस रणनीति (Modern Marketing Strategy) की रीढ़ की हड्डी बन चुका है।

7Ps of Marketing

मार्केटिंग मिक्स के 4PS क्या हैं?

शुरुआत में मार्केटिंग मिक्स को केवल 4P Model कहा जाता था। इसमें ये चार महत्वपूर्ण तत्व शामिल थे:

  1. Product (प्रोडक्ट) – वह वस्तु या सेवा जिसे कंपनी बनाती है और ग्राहक की जरूरतों को पूरा करती है।
  2. Price (प्राइस) – प्रोडक्ट की कीमत, यानी ग्राहक को इसके लिए कितना भुगतान करना होगा।
  3. Place (प्लेस) – वितरण चैनल, यानी प्रोडक्ट कहाँ और कैसे उपलब्ध होगा (स्टोर, ऑनलाइन, डिस्ट्रीब्यूटर)।
  4. Promotion (प्रमोशन) – ग्राहकों तक संदेश पहुँचाने और उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित करने के तरीके (Ads, Offers, Social Media, PR आदि)।

यही 4Ps of Marketing कहलाते हैं और बाद में सर्विस इंडस्ट्री व बदलते समय को देखते हुए इसमें 3P और जोड़े गए, जिससे यह 7Ps of Marketing बन गया।

7PS क्या हैं?

1. Product (प्रोडक्ट)

किसी भी मार्केटिंग रणनीति की शुरुआत हमेशा प्रोडक्ट (Product) से होती है, क्योंकि यही ग्राहकों के लिए वास्तविक मूल्य (Value) तैयार करता है। प्रोडक्ट केवल एक वस्तु भर नहीं होता, बल्कि यह एक ऐसा सॉल्यूशन होता है जो ग्राहक की समस्या का समाधान करता है और उनकी ज़रूरतों को पूरा करता है।

एक सफल प्रोडक्ट वही माना जाता है जो बेहतर क्वालिटी वाला हो, ग्राहकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरे, उसका डिज़ाइन और पैकेजिंग आकर्षक हो और साथ ही वह कंपनी की ब्रांड वैल्यू को भी दर्शाए। उदाहरण के तौर पर, स्मार्टफोन कंपनियाँ जैसे Apple और Samsung केवल मोबाइल फोन नहीं बेचतीं, बल्कि वे ग्राहकों को प्रीमियम क्वालिटी, बेहतरीन कैमरा और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के रूप में एक संपूर्ण समाधान उपलब्ध कराती हैं।

2. Price (प्राइस)

मार्केटिंग मिक्स का दूसरा सबसे अहम स्तंभ है प्राइस (Price)। किसी भी प्रोडक्ट की कीमत ग्राहक के खरीदने के निर्णय पर सीधा असर डालती है। सही प्राइस तय करने के लिए मार्केट डिमांड, प्रोडक्ट की वैल्यू, प्रतिस्पर्धा और ग्राहकों की भुगतान क्षमता जैसे कारकों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है। यदि कीमत बहुत ज़्यादा होगी तो ग्राहक विकल्प तलाश सकता है, और अगर बहुत कम होगी तो ब्रांड की वैल्यू पर असर पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर, Jio ने भारत में बेहद सस्ते डेटा प्लान्स लॉन्च करके न सिर्फ़ ग्राहकों को आकर्षित किया बल्कि पूरे टेलीकॉम सेक्टर की प्राइसिंग स्ट्रैटेजी को बदल दिया।

3. Place (प्लेस)

किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह ग्राहकों तक कहाँ और कैसे पहुँचती है। इसे ही Place (प्लेस) कहा जाता है। सही वितरण चैनल (Distribution Channel) के ज़रिए ही ग्राहक तक प्रोडक्ट आसानी से पहुँच पाता है। आज के समय में ऑफलाइन स्टोर्स के साथ-साथ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्स भी एक बड़े वितरण नेटवर्क का हिस्सा बन चुके हैं। उदाहरण के तौर पर, Amazon और Flipkart ने भारत के छोटे कस्बों और गाँवों तक अपने प्रोडक्ट्स पहुँचाकर यह साबित किया है कि मजबूत डिस्ट्रीब्यूशन ही किसी ब्रांड की वास्तविक ताकत है।

4. Promotion (प्रमोशन)

ग्राहक को यह बताना कि आपका प्रोडक्ट क्यों अलग और उपयोगी है, Promotion कहलाता है। प्रमोशन के कई तरीके हो सकते हैं विज्ञापन, सोशल मीडिया मार्केटिंग, ऑफ़र्स और डिस्काउंट, पब्लिक रिलेशन और ब्रांडिंग कैंपेन। सही प्रमोशन स्ट्रैटेजी ब्रांड को ग्राहकों के बीच लोकप्रिय बनाती है और उनकी खरीदारी की संभावना को बढ़ाती है। उदाहरण के लिए, Coca-Cola ने हमेशा अपने प्रमोशन में “Happiness” और “Freshness” जैसे भावनात्मक संदेशों का इस्तेमाल किया है, जिसकी वजह से ब्रांड का कनेक्शन सीधे ग्राहकों के दिलों से जुड़ गया।

5. People (पीपल)

किसी भी बिज़नेस की असली ताकत उसके लोग होते हैं। इसमें कर्मचारी, सेल्स टीम और कस्टमर सर्विस प्रोफेशनल्स सब शामिल हैं। ग्राहकों से व्यवहार, कर्मचारियों की ट्रेनिंग और सकारात्मक रवैया ब्रांड के लिए एक मजबूत छवि बनाता है। आज के समय में ग्राहक केवल प्रोडक्ट ही नहीं, बल्कि कस्टमर सर्विस का अनुभव भी याद रखते हैं। उदाहरण के लिए, Zomato और Swiggy अपने डिलीवरी पार्टनर्स को बेहतर ट्रेनिंग और सुविधाएँ देते हैं, ताकि ग्राहक को समय पर और अच्छा अनुभव मिल सके।

6. Process (प्रोसेस)

किसी भी बिज़नेस का प्रोसेस उस सिस्टम को दर्शाता है जिसके माध्यम से ग्राहक तक प्रोडक्ट या सर्विस पहुँचाई जाती है। इसमें केवल ऑर्डर लेना ही नहीं, बल्कि समय पर डिलीवरी, भुगतान की सुविधा और बिक्री के बाद दी जाने वाली सहायता (After-Sales Support) भी शामिल होती है। जब यह पूरी प्रक्रिया तेज़, पारदर्शी और ग्राहक की सुविधा के अनुसार होती है, तो ब्रांड की साख अपने आप मज़बूत हो जाती है। उदाहरण के तौर पर, Domino’s ने अपनी तेज़ और भरोसेमंद डिलीवरी प्रक्रिया के ज़रिए ग्राहकों के बीच एक अनोखी पहचान बनाई, जिसने उसे प्रतियोगियों से अलग खड़ा कर दिया।

7. Physical Evidence (फिजिकल एविडेंस)

मार्केटिंग मिक्स का आख़िरी हिस्सा है Physical Evidence (फिज़िकल एविडेंस)। इसका मतलब है वह सब कुछ जिसे ग्राहक प्रत्यक्ष रूप से देख, छू या महसूस कर सके और जिसकी वजह से ब्रांड पर भरोसा किया जा सके। इसमें प्रोडक्ट की पैकेजिंग, कंपनी की वेबसाइट, लोगो, स्टोर का इंटीरियर, और अन्य ब्रांडिंग एलिमेंट्स शामिल होते हैं। ये सभी चीज़ें मिलकर ग्राहक के मन में ब्रांड की एक स्पष्ट और भरोसेमंद छवि बनाती हैं। उदाहरण के लिए, Starbucks अपने स्टोर्स के आरामदायक माहौल, यूनिक कप डिज़ाइन और प्रीमियम ब्रांडिंग के ज़रिए ग्राहकों को एक ऐसा अनुभव देता है जो उन्हें बार-बार वहाँ खींच लाता है।

7Ps of Marketing: क्यों जरूरी है मार्केटिंग मिक्स को समझना?

7Ps मॉडल किसी भी बिज़नेस की लॉन्ग-टर्म स्ट्रैटेजी बनाने के लिए जरूरी है। यह न केवल कंपनियों को मार्केट में टिकने में मदद करता है बल्कि ग्राहकों के साथ विश्वास बनाने में भी सहायक होता है।

7Ps of Marketing Mix का उपयोग कैसे करें?

7Ps सिर्फ थ्योरी नहीं है, बल्कि इसे बिज़नेस की रणनीति में लागू करने का तरीका भी है। आइए समझते हैं:

  1. Product (प्रोडक्ट) – हर बिज़नेस की शुरुआत प्रोडक्ट से होती है। हमेशा ग्राहकों की ज़रूरतों और उनकी समस्याओं को समझकर प्रोडक्ट डिज़ाइन करें। समय-समय पर फीडबैक लेकर उसमें सुधार (Improvement) करें ताकि यह बदलते मार्केट और कस्टमर डिमांड के साथ प्रासंगिक बना रहे।
  2. Price (प्राइस) – किसी भी प्रोडक्ट की सफलता काफी हद तक उसकी प्राइसिंग पर निर्भर करती है। इसे तय करते समय कॉम्पिटिशन, प्रोडक्ट की वैल्यू और टारगेट ऑडियंस को ध्यान में रखना चाहिए। अगर प्रोडक्ट प्रीमियम क्वालिटी का है तो हाई प्राइसिंग रखी जा सकती है, वहीं मास मार्केट के लिए Value Pricing ज्यादा उपयुक्त रहती है।
  3. Place (प्लेस) – प्रोडक्ट को ग्राहकों तक पहुँचाना उतना ही ज़रूरी है जितना उसे बनाना। आज के डिजिटल युग में सिर्फ़ ऑफलाइन स्टोर्स पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। प्रोडक्ट को ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म, सोशल मीडिया और मोबाइल ऐप्स के ज़रिए भी उपलब्ध कराना चाहिए ताकि अधिक से अधिक ग्राहक आसानी से उसे खरीद सकें।
  4. Promotion (प्रमोशन) – किसी भी सर्विस या प्रोडक्ट को ग्राहकों तक पहुँचाने और उसकी वैल्यू समझाने का सबसे अच्छा तरीका है प्रमोशन। यह केवल विज्ञापन दिखाने तक सीमित नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित प्रक्रिया है जो ब्रांड की पहचान बनाती है। इसके लिए कंपनियाँ कई साधनों का उपयोग करती हैं, जैसे टेलीविज़न और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर विज्ञापन, सोशल मीडिया पर आकर्षक कैंपेन, इन्फ्लुएंसर के साथ साझेदारी और नियमित ईमेल न्यूज़लेटर। इन सभी प्रयासों से न केवल ब्रांड अधिक लोगों तक पहुँचता है बल्कि ग्राहकों के मन में उसके प्रति भरोसा भी पैदा होता है।
  5. People (पीपल) – किसी भी कंपनी की सबसे बड़ी ताकत उसके लोग यानी कर्मचारी और कस्टमर सपोर्ट टीम होती है। अगर आपकी टीम प्रोफेशनल, ट्रेंड और सहयोगी है, तो ग्राहक का अनुभव भी सकारात्मक होगा। याद रखें खुश ग्राहक ही आपके ब्रांड का सबसे बड़ा प्रमोटर होता है।
  6. Process (प्रोसेस) – किसी भी बिज़नेस के लिए उसका प्रोसेस जितना सरल और तेज़ होगा, ग्राहक का अनुभव उतना ही बेहतर होगा। इस प्रक्रिया में ऑर्डर बुकिंग, समय पर डिलीवरी और बिक्री के बाद दी जाने वाली सहायता जैसी सभी सेवाएँ शामिल होती हैं। एक पारदर्शी और सुविधाजनक सिस्टम न केवल ग्राहकों का समय बचाता है बल्कि उन्हें दोबारा खरीदारी करने के लिए भी प्रेरित करता है। यही कारण है कि एक प्रभावी प्रोसेस सीधे-सीधे ग्राहक की संतुष्टि और ब्रांड के प्रति उनकी वफादारी को मजबूत करता है।
  7. Physical Evidence (फिजिकल एविडेंस) – किसी भी ब्रांड की विश्वसनीयता बढ़ाने में फिज़िकल एविडेंस की अहम भूमिका होती है। यह वह सब कुछ है जिसे ग्राहक देख या अनुभव कर सकता है। आकर्षक और सुरक्षित पैकेजिंग, उपयोग में आसान व प्रोफेशनल दिखने वाली वेबसाइट, यादगार लोगो, साथ ही ग्राहकों द्वारा दिए गए रिव्यू और प्रशंसापत्र ये सभी तत्व मिलकर ब्रांड को भरोसेमंद और मजबूत पहचान दिलाते हैं।

Amul और 7Ps of Marketing Mix

1. Product (प्रोडक्ट)

Amul का प्रोडक्ट सिर्फ दूध तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे डेयरी प्रोडक्ट्स की एक बड़ी रेंज है। इसमें दूध, घी, बटर, चीज़, आइसक्रीम, दही, चॉकलेट और कई तरह के वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स शामिल हैं, जो अलग-अलग ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। Amul हमेशा से अपनी क्वालिटी और Pure Dairy Products के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि यह सिर्फ़ एक ब्रांड नहीं बल्कि लोगों के विश्वास और भरोसे का दूसरा नाम बन चुका है।

2. Price (प्राइस)

Amul की प्राइसिंग रणनीति Value for Money पर आधारित है। इसका मतलब है कि यह अच्छे क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स को किफायती दाम पर उपलब्ध कराता है। चाहे शहरी इलाक़े हों या ग्रामीण बाज़ार, Amul की कीमतें हर तरह के ग्राहक के बजट में फिट बैठती हैं।

3. Place (प्लेस)

Amul का डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क भारत में बेहद व्यापक और संगठित माना जाता है। कंपनी ने अपने उत्पादों को इस तरह उपलब्ध कराया है कि वे छोटे गाँव की दुकानों से लेकर बड़े सुपरमार्केट तक आसानी से मिल जाते हैं। इसके अलावा, रेलवे स्टेशनों, कॉलेज कैंटीन, ऑनलाइन ग्रॉसरी प्लेटफ़ॉर्म और मोबाइल एप्लिकेशन्स पर भी Amul के प्रोडक्ट्स की पहुँच है। इस तरह Amul ने यह सुनिश्चित किया है कि उपभोक्ता चाहे जहाँ भी हों, उन्हें ताज़ा और भरोसेमंद डेयरी प्रोडक्ट्स तक आसान पहुँच मिल सके।

4. Promotion (प्रमोशन)

Amul अपनी आइकॉनिक Amul Girl Mascot और अनोखी विज्ञापन शैली की वजह से पूरी दुनिया में पहचाना जाता है। इसके विज्ञापन अक्सर ताज़ा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर हल्के-फुल्के और व्यंग्यात्मक अंदाज़ में आधारित होते हैं, जो लोगों को तुरंत जोड़ लेते हैं। यही कारण है कि Amul के कैंपेन न केवल मनोरंजन करते हैं बल्कि दर्शकों के मन में लंबे समय तक याद भी रहते हैं। पारंपरिक विज्ञापनों के अलावा, कंपनी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और टीवी पर भी लगातार सक्रिय रहती है, जिससे उसकी ब्रांड छवि और मजबूत होती है।

5. People (पीपल)

Amul की सफलता के पीछे सिर्फ़ मार्केटिंग नहीं, बल्कि इसके लाखों किसान और कर्मचारी भी हैं। Amul एक कोऑपरेटिव स्ट्रक्चर पर आधारित है, जहाँ लाखों डेयरी किसान सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। यही लोग इसकी असली ताकत हैं, जिनकी वजह से Amul ग्राहकों तक शुद्ध और ताज़ा डेयरी प्रोडक्ट्स पहुँचा पाता है।

6. Process (प्रोसेस)

Amul का प्रोसेस बेहद सुव्यवस्थित है। दूध किसानों से इकट्ठा किया जाता है, फिर मॉडर्न प्लांट्स में उसे प्रोसेस करके अलग-अलग प्रोडक्ट्स तैयार किए जाते हैं। उसके बाद इन प्रोडक्ट्स को तुरंत कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स सिस्टम के ज़रिए मार्केट में पहुँचाया जाता है। इस स्मूद और क्वालिटी-फोकस्ड प्रोसेस की वजह से Amul हमेशा ग्राहकों की पहली पसंद बना हुआ है।

7. Physical Evidence (फिजिकल एविडेंस)

Amul की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और लोगो इसके Physical Evidence हैं। Amul बटर का पैकेजिंग, Amul Girl के विज्ञापन और इसकी आकर्षक पैकिंग ग्राहकों में ब्रांड की विश्वसनीयता बढ़ाते हैं। इसके अलावा, Amul पार्लर और आउटलेट्स भी इसके ब्रांड एक्सपीरियंस को मजबूत करते हैं।

निष्कर्ष:

7Ps of Marketing किसी भी बिज़नेस के लिए एक रोडमैप की तरह काम करता है। अगर कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट को सही प्राइस पर, सही जगह पर और सही तरीके से प्रमोट करती है तो उसकी सफलता लगभग तय होती है।

उदाहरण के लिए Patagonia (क्लोदिंग ब्रांड) अपने प्रोडक्ट्स में हमेशा क्वालिटी और सस्टेनेबिलिटी पर फोकस करता है, जिसकी वजह से उसने एक मजबूत और जागरूक कस्टमर बेस बनाया है। वहीं Amul ने भारत में दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स को हर गाँव और शहर तक पहुँचाकर यह साबित किया है कि सही मार्केटिंग मिक्स किसी भी ब्रांड को हर घर का नाम (Household Name) बना सकता है।

डिस्क्लेमर:

यह ब्लॉग केवल शैक्षिक और जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें शामिल सभी उदाहरण, कंपनियाँ और ब्रांड्स केवल अध्ययन और समझ को आसान बनाने के लिए बताए गए हैं। इस ब्लॉग का उद्देश्य किसी भी विशेष ब्रांड, कंपनी या प्रोडक्ट का प्रमोशन या विज्ञापन करना नहीं है। यहाँ प्रस्तुत जानकारी सामान्य ज्ञान और शिक्षा के लिए है, इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी बिज़नेस निर्णय या रणनीति बनाने से पहले अपनी रिसर्च अवश्य करें।

FAQs: 7Ps of Marketing

Q1: मार्केटिंग मिक्स के 7P क्या हैं?
Ans: प्रोडक्ट, प्राइस, प्लेस, प्रमोशन, पीपल, प्रोसेस और फिजिकल एविडेंस।

Q2: 7Ps of Marketing क्यों महत्वपूर्ण हैं?
Ans: यह बिज़नेस को ग्राहकों की जरूरत समझने, प्रोडक्ट को सही जगह उपलब्ध कराने और ब्रांड वैल्यू बनाने में मदद करता है।

Q3: क्या 7Ps सिर्फ बड़े बिज़नेस के लिए हैं?
Ans: नहीं, छोटे बिज़नेस और स्टार्टअप्स भी 7Ps को अपनाकर सफलता पा सकते हैं।

Q4: क्या डिजिटल मार्केटिंग में भी 7Ps लागू होते हैं?
Ans: हाँ, डिजिटल मार्केटिंग में भी ये उतने ही जरूरी हैं। जैसे – कस्टमर सपोर्ट (प्रोसेस), ऑनलाइन प्रमोशन, वेबसाइट (फिजिकल एविडेंस) आदि।

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