What is Technical SEO in Hindi? टेक्निकल एसईओ क्या है?

क्या आपकी वेबसाइट गूगल में रैंक नहीं कर रही? क्या आपने On Page और Off Page SEO सब कुछ कर लिया है, फिर भी ट्रैफिक नहीं आ रहा? तो शायद अब वक्त है Technical SEO पर ध्यान देने का।

What is Technical SEO in Hindi? टेक्निकल एसईओ क्या है?

Technical SEO क्या है? ये सवाल हर उस ब्लॉगर या वेबसाइट ओनर के मन में आता है जो सच में अपनी वेबसाइट की परफॉर्मेंस को बेहतर बनाना चाहता है। इसके पहले ब्लॉग में हमने देखा था की SEO, On Page SEO और OFF Page SEO क्या है? इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि What is Technical SEO in Hindi? टेक्निकल एसईओ क्या है? कैसे काम करता है, और क्यों यह आपकी वेबसाइट के लिए जरूरी है।

Technical SEO क्या होता है?

Technical SEO वेबसाइट के उस हिस्से को ऑप्टिमाइज़ करने की प्रक्रिया है जो सीधे तौर पर सर्च इंजन की क्रॉलिंग, इंडेक्सिंग और रैंकिंग से जुड़ा होता है। यह वेबसाइट के बैकएंड, कोड स्ट्रक्चर और सर्वर सेटअप पर काम करता है ताकि गूगल और अन्य सर्च इंजन आपकी साइट को आसानी से समझ सकें।

अगर आपकी वेबसाइट धीमी है, मोबाइल पर सही नहीं दिखती, या SSL सिक्योरिटी नहीं है, तो वह SEO में पीछे रह सकती है, चाहे कंटेंट कितना भी अच्छा क्यों न हो। टेक्निकल SEO इन सभी समस्याओं को सुलझाने में मदद करता है। इसमें XML Sitemap सेट करना, Robots.txt फाइल बनाना, Canonical URLs का सही उपयोग और 404 Errors को फिक्स करना शामिल होता है।

संक्षेप में टेक्निकल SEO वह नींव है जिस पर आपकी पूरी SEO रणनीति टिकी होती है। अगर यह मजबूत है, तो आपकी साइट को बेहतर रैंकिंग और यूज़र एक्सपीरियंस दोनों मिलते हैं। इसलिए इसका नियमित ऑडिट ज़रूरी है।

Technical SEO के मुख्य तत्व (Main Elements)

1. वेबसाइट स्पीड (Website Speed Optimization)

क्या आपने कभी कोई वेबसाइट ओपन की है जो लोड होने में 8-10 सेकंड लेती है? ऐसे में ज्यादातर यूज़र बिना इंतज़ार किए ही बैक बटन दबा देते हैं और दूसरी वेबसाइट पर चले जाते हैं। यही चीज़ Google भी नोट करता है, और स्लो वेबसाइट्स की रैंकिंग डाउन कर देता है। वेबसाइट की स्पीड सिर्फ यूज़र एक्सपीरियंस के लिए ही नहीं, बल्कि SEO के लिए भी एक अहम फैक्टर बन चुकी है।

आज के यूज़र्स उम्मीद करते हैं कि वेबसाइट 2-3 सेकंड में लोड हो। Google ने भी Page Speed को अपने रैंकिंग एल्गोरिदम में शामिल कर लिया है। आप अपनी साइट की स्पीड को चेक करने के लिए PageSpeed Insights, GTmetrix या Pingdom जैसे टूल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये टूल्स यह भी बताते हैं कि साइट स्लो क्यों है और आप कैसे सुधार कर सकते हैं, क्योंकि तेज़ वेबसाइट ना सिर्फ ट्रैफिक बढ़ाती है, बल्कि बाउंस रेट भी घटाती है और रैंकिंग में सुधार लाती है।

2. मोबाइल फ्रेंडली डिज़ाइन (Mobile Friendly Design)

आज के समय में इंटरनेट यूज़र्स की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है और उनमें से 70% से ज़्यादा ट्रैफिक मोबाइल डिवाइसेज़ से आता है। ऐसे में अगर आपकी वेबसाइट मोबाइल पर सही तरीके से काम नहीं करती जैसे कि टेक्स्ट बहुत छोटा हो, स्क्रीन कट हो रही हो, या ज़ूम करना पड़ रहा हो तो यूज़र साइट को तुरंत छोड़ सकते हैं। इससे बाउंस रेट बढ़ता है और आपकी साइट की Google रैंकिंग पर नकारात्मक असर पड़ता है।

आज ज़्यादातर लोग मोबाइल से इंटरनेट ब्राउज़ करते हैं, और इसी को ध्यान में रखते हुए Google ने Mobile-First Indexing लागू किया है। इसका मतलब है कि अब आपकी वेबसाइट का मोबाइल वर्जन ही रैंकिंग के लिए प्राथमिकता पाता है, न कि डेस्कटॉप वर्जन।

इसलिए ज़रूरी है कि आपकी साइट Responsive Design पर आधारित हो, जो हर स्क्रीन साइज पर खुद को आसानी से एडजस्ट कर सके। Google का Mobile-Friendly Test Tool यह जांचने में मदद करता है कि आपकी वेबसाइट मोबाइल पर कितनी प्रभावशाली है। एक अच्छी मोबाइल फ्रेंडली वेबसाइट ना सिर्फ यूज़र्स के लिए बेहतर होती है, बल्कि SEO ग्रोथ के लिए भी फायदेमंद होती है।

3. SSL Certificate और HTTPS

जब आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं और ब्राउज़र के एड्रेस बार में “https://” लिखा होता है, तो इसका मतलब है कि वह वेबसाइट सिक्योर है, और यह सुरक्षा SSL (Secure Sockets Layer) सर्टिफिकेट के कारण संभव होती है, जो वेबसाइट और यूज़र के बीच ट्रांसफर हो रहे डेटा को एन्क्रिप्ट करता है ताकि पासवर्ड, कार्ड डिटेल्स जैसे संवेदनशील जानकारी सुरक्षित रहे और किसी हैकर के हाथ न लगे।

यदि वेबसाइट पर SSL नहीं होता, तो ब्राउज़र उसे “Not Secure” दिखाता है, जिससे विज़िटर का भरोसा कम हो सकता है। गूगल ने भी HTTPS को एक रैंकिंग फैक्टर घोषित किया है, यानी HTTPS वाली वेबसाइट्स को SEO में थोड़ी वरीयता मिलती है, साथ ही ये वेबसाइट्स तेज़ लोड होती हैं और यूज़र को सुरक्षित अनुभव देती हैं। इसलिए अगर आपकी साइट अब भी HTTP पर है, तो उसे जल्द से जल्द HTTPS पर माइग्रेट करना जरूरी है; खास बात यह है कि आजकल कई होस्टिंग कंपनियां फ्री SSL सर्टिफिकेट भी देती हैं, जिससे साइट को सिक्योर बनाना पहले से आसान हो गया है।

4. XML Sitemap

XML Sitemap आपकी वेबसाइट का एक ऐसा मैप होता है जो सर्च इंजन, खासकर Google, को यह जानकारी देता है कि आपकी साइट में कौन-कौन से पेज मौजूद हैं, और वे कितनी बार अपडेट होते हैं। यह खास तौर पर उन पेजों के लिए मददगार होता है जो आपकी साइट के इंटरनल लिंकिंग में कहीं छूट सकते हैं। Sitemap की मदद से गूगल आपकी वेबसाइट को बेहतर तरीके से क्रॉल और इंडेक्स कर पाता है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपनी साइट का XML Sitemap बनाएं और उसे Google Search Console में सबमिट करें, ताकि गूगल को आपके सभी जरूरी पेजों की सही जानकारी मिल सके और आपकी रैंकिंग में सुधार हो सके।

5. Robots.txt

Robots.txt एक टेक्स्ट फाइल होती है जो सर्च इंजन के क्रॉलर को यह बताती है कि वेबसाइट के किन पेजों को क्रॉल करना है और किन्हें नहीं। Robots.txt फाइल को सही ढंग से सेट करना बहुत जरूरी है, क्योंकि एक छोटी सी गलती भी सर्च इंजन को आपकी वेबसाइट के अहम पेजों तक पहुंचने से रोक सकती है। उदाहरण के लिए, यदि आपने अनजाने में मुख्य पब्लिक पेजों को ब्लॉक कर दिया, तो वे Google में दिखेंगे ही नहीं, जिससे ट्रैफिक और रैंकिंग दोनों पर असर पड़ेगा। हालांकि, कुछ पेज जैसे एडमिन एरिया या प्राइवेट सेक्शन को आप चाहें तो क्रॉल से रोक सकते हैं लेकिन जरूरी पब्लिक पेज हमेशा एक्सेसिबल होने चाहिए।

Google Search Console एक ऐसा टूल है जिससे आप यह जांच सकते हैं कि सर्च इंजन आपकी वेबसाइट को सही से क्रॉल कर रहा है या नहीं। यह एक छोटा लेकिन बहुत अहम SEO एलिमेंट है जिसे नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए।

6. Canonical Tags

अगर आपकी वेबसाइट पर एक ही कंटेंट कई URLs पर उपलब्ध है, तो उसे डुप्लिकेट कंटेंट कहा जाता है। यह गूगल जैसे सर्च इंजन को कंफ्यूज़ कर सकता है कि किस पेज को रैंक किया जाए। इसी समस्या को सुलझाने के लिए Canonical Tag का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक HTML टैग होता है जिसे <link rel=”canonical” href=”…”> के रूप में पेज के हेड सेक्शन में जोड़ा जाता है, और यह गूगल को बताता है कि “असली” या “प्राथमिक” वर्शन कौन-सा है जिसे इंडेक्स करना चाहिए।

उदाहरण के लिए, अगर एक ही प्रोडक्ट पेज कई URLs से एक्सेस हो रहा है (जैसे /product?color=red और /product?size=large), तो Canonical Tag यह स्पष्ट करता है कि गूगल किस URL को प्रेफर करे। इससे डुप्लिकेट कंटेंट की समस्या दूर होती है, साइट की SEO वैल्यू डिवाइड नहीं होती, और आपकी वेबसाइट बेहतर रैंक करती है। इसलिए Canonical Tag का सही इस्तेमाल हर वेबसाइट के टेक्निकल SEO में जरूरी होता है।

7. Structured Data (Schema Markup)

Structured Data एक ऐसा कोड होता है जिसे आपकी वेबसाइट के HTML में जोड़ा जाता है ताकि सर्च इंजन को यह समझने में मदद मिल सके कि आपका कंटेंट किस बारे में है। यह सर्च इंजन को साफ़ बताता है कि कोई पेज प्रोडक्ट है, रिव्यू है, इवेंट है, या रेसिपी जिससे वे पेज को बेहतर तरीके से इंडेक्स और रैंक कर पाते हैं।

Structured Data का सही उपयोग करने पर आपकी वेबसाइट Google में Rich Snippets के रूप में दिखाई दे सकती है, जैसे स्टार रेटिंग, कीमत, तारीख, FAQs आदि। इससे CTR (Click-Through Rate) बढ़ता है और ट्रैफिक में सुधार होता है। इसे जोड़ने के लिए आप Schema.org फॉर्मेट और Google के Rich Results Test Tool का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 Technical SEO क्यों जरूरी है?

Technical SEO किसी भी वेबसाइट की नींव मजबूत करने का काम करता है। अगर आपकी वेबसाइट तकनीकी रूप से मजबूत नहीं है, तो चाहे कंटेंट कितना भी अच्छा क्यों न हो, वह गूगल की नजर में पूरी तरह नहीं आ पाएगा। सबसे पहला फायदा यह होता है कि सर्च इंजन आपकी वेबसाइट को आसानी से क्रॉल और इंडेक्स कर पाता है। जब गूगलबॉट को वेबसाइट की संरचना, लिंकिंग और कंटेंट तक सही ढंग से पहुंच मिलती है, तो आपकी रैंकिंग बेहतर होती है।

इसके अलावा, Technical SEO से आपकी वेबसाइट की स्पीड, मोबाइल फ्रेंडलीनेस, और सिक्योरिटी में सुधार होता है, जिससे यूज़र्स को एक बेहतर अनुभव मिलता है। एक फास्ट और मोबाइल-रेडी वेबसाइट यूज़र को लंबे समय तक साइट पर रोकती है, जिससे बाउंस रेट कम होता है। साथ ही, canonical tags, robots.txt, और structured data जैसे एलिमेंट्स साइट को Google Penalty से बचाने में भी मदद करते हैं।

कुल मिलाकर Technical SEO आपकी वेबसाइट को सर्च इंजन फ्रेंडली, यूज़र फ्रेंडली और परफॉर्मेंस फ्रेंडली बनाता है, और यही कारण है कि इसे नजरअंदाज़ करना बड़ी गलती हो सकती है।

  • सर्च इंजन आसानी से वेबसाइट को समझ पाता है
  • क्रॉलिंग और इंडेक्सिंग में सुधार होता है
  • यूज़र एक्सपीरियंस बेहतर होता है
  • वेबसाइट की स्पीड और परफॉर्मेंस बेहतर होती है
  • गूगल पेनाल्टी से बचा जा सकता है

Technical SEO कैसे करें?

अगर आप चाहते हैं कि आपकी वेबसाइट सर्च इंजन में बेहतर रैंक करे और टेक्निकली मजबूत हो, तो नीचे दिए गए स्टेप्स को ज़रूर फॉलो करें:

1. Google Search Console से वेबसाइट वेरीफाई करें:
यह पहला और सबसे ज़रूरी कदम है। इससे आप अपनी वेबसाइट के परफॉर्मेंस, क्रॉलिंग स्टेटस, इंडेक्सिंग और Errors की जानकारी पा सकते हैं।

2. XML Sitemap और txt फाइल सेट करें:
Sitemap गूगल को यह बताता है कि आपकी साइट में कौन-कौन से पेज मौजूद हैं, जबकि Robots.txt बताता है कि किन पेजों को क्रॉल करना है और किन्हें नहीं।

3. वेबसाइट की स्पीड ऑप्टिमाइज़ करें:
Google PageSpeed Insights, GTmetrix जैसे टूल कि मदद से वेबसाइट की लोडिंग स्पीड चेक करें और CSS, JS, Images को ऑप्टिमाइज़ करें।

4. मोबाइल फ्रेंडली टेस्ट पास करें:
आज ज़्यादातर ट्रैफिक मोबाइल से आता है, इसलिए Google के Mobile-Friendly Test टूल से यह जांचें कि आपकी साइट सभी डिवाइसेज़ पर सही दिख रही है या नहीं।

5. Broken Links हटाएं या ठीक करें:
टूटी हुई लिंक (404 errors) वेबसाइट की क्रेडिबिलिटी और SEO दोनों को नुकसान पहुंचाती हैं। इन्हें पहचान कर हटाएं या सही URL से लिंक करें।

6. Redirect Chains से बचें:
बार-बार redirect होने से क्रॉलर और यूज़र दोनों को परेशानी होती है। ज़रूरत से ज़्यादा redirects SEO को नुकसान पहुंचाते हैं।

7. Canonical Tags का सही उपयोग करें:
डुप्लिकेट कंटेंट से बचने के लिए Canonical URL सेट करें ताकि Google जान सके कि असली पेज कौन-सा है।

8. 404 Errors को फिक्स करें:
किसी डिलीट हुए या गलत URL के कारण जो पेज खुल नहीं रहा है, उसे या तो सही करें या उसे 301 Redirect दें।

9. HTTPS लागू करें (SSL Certificate):
यह वेबसाइट को सिक्योर बनाता है और Google इसे रैंकिंग फैक्टर के रूप में देखता है। अब अधिकांश होस्टिंग कंपनियां फ्री SSL सर्टिफिकेट देती हैं।

इस ब्लॉग का उद्देश्य यह समझाना है कि What is Technical SEO in Hindi? टेक्निकल एसईओ क्या है? और क्यों यह आपकी वेबसाइट की सफलता के लिए बेहद जरूरी है।

निष्कर्ष:

Technical SEO आपकी वेबसाइट की वो बुनियाद है जिस पर आपकी पूरी डिजिटल उपस्थिति टिकी होती है। चाहे आपने लाखों का कंटेंट लिखा हो या हजारों का प्रमोशन किया हो, अगर गूगल को आपकी साइट समझ ही नहीं आ रही, तो सारी मेहनत बेकार है।

इसलिए आज ही से अपनी वेबसाइट की तकनीकी सेहत पर ध्यान दीजिए। छोटे-छोटे सुधार भी बड़ा फर्क ला सकते हैं।

डिस्क्लेमर:

यह ब्लॉग पोस्ट केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी समय के साथ बदल सकती है। हम यह सलाह देते हैं कि आप किसी भी तकनीकी बदलाव से पहले संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

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