आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि 4Ps of Marketing. 4Ps का उपयोग कैसे करें? दोस्तों जैसा कि किसी भी व्यवसाय की वास्तविक सफलता केवल इस बात पर निर्भर नहीं करती कि वह कौन-सा प्रोडक्ट या सर्विस बना रहा है, बल्कि इस पर भी निर्भर करती है कि उस प्रोडक्ट या सर्विस को सही समय पर, सही जगह पर और सही तरीक़े से ग्राहकों तक पहुँचाया कैसे जा रहा है। अगर ग्राहक तक प्रोडक्ट पहुँचाने का तरीका प्रभावी नहीं है, तो चाहे प्रोडक्ट कितना भी अच्छा क्यों न हो, वह बाज़ार में टिक नहीं पाएगा। यही कारण है कि व्यवसाय में मार्केटिंग मिक्स की अवधारणा को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
मार्केटिंग मिक्स यानी 4Ps – Product (उत्पाद), Price (मूल्य), Place (स्थान) और Promotion (प्रमोशन), एक ऐसी व्यापक रणनीति है जो न केवल किसी प्रोडक्ट को डिज़ाइन करने और उसकी कीमत तय करने में मदद करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि वह प्रोडक्ट सही ग्राहकों तक पहुँचे और उनके बीच उसकी पहचान मजबूत हो। सरल शब्दों में कहें तो 4Ps किसी भी बिज़नेस के लिए वह रोडमैप हैं जो उसे मार्केट में प्रतिस्पर्धा से आगे निकलने और लंबी अवधि तक टिके रहने का रास्ता दिखाते हैं
मार्केटिंग मिक्स का परिचय
मार्केटिंग मिक्स की अवधारणा को सबसे पहले E. Jerome McCarthy ने वर्ष 1960 में प्रस्तुत किया था। उस समय यह विचार एक क्रांतिकारी मॉडल के रूप में उभरा, क्योंकि इसने व्यवसायों को यह समझने का अवसर दिया कि किसी प्रोडक्ट या सर्विस को केवल बनाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसे बाज़ार में किस प्रकार से प्रस्तुत किया जाता है।
यह मॉडल किसी भी कंपनी के लिए एक ऐसा रणनीतिक खाका (Strategic Framework) है, जिसके माध्यम से वह अपने उत्पाद और सेवाओं को न केवल आकर्षक रूप में डिज़ाइन कर सकती है, बल्कि उनकी सही कीमत तय करने (Pricing), उचित जगह तक पहुँचाने (Distribution) और सही तरीके से प्रचार-प्रसार (Promotion) करने में भी सक्षम हो जाती है।
सरल शब्दों में, मार्केटिंग मिक्स के 4Ps यह तय करने में मदद करते हैं कि
- कंपनी कौन सा प्रोडक्ट मार्केट में उतारेगी और उसमें कौन-सी विशेषताएँ होंगी,
- उस प्रोडक्ट की कीमत कितनी होनी चाहिए ताकि ग्राहक आकर्षित हों और कंपनी को मुनाफ़ा भी मिले,
- उस प्रोडक्ट को कहाँ उपलब्ध कराया जाए ताकि सही ग्राहक तक पहुँच सके,
- और अंत में, उस प्रोडक्ट का प्रचार किस प्रकार से किया जाए ताकि लोग उसके बारे में जानें और उसे ख़रीदने के लिए प्रेरित हों।
4Ps हैं:
- Product (प्रोडक्ट या सेवा): वह चीज़ जो आप ग्राहक को ऑफर कर रहे हैं, चाहे वह कोई वस्तु हो या कोई सेवा।
- Price (कीमत): वह मूल्य जो ग्राहक को उस प्रोडक्ट या सेवा को प्राप्त करने के लिए चुकाना होता है।
- Place (स्थान/वितरण): वह जगह और चैनल जहाँ से प्रोडक्ट ग्राहक तक पहुँचता है।
- Promotion (प्रचार): वे सभी रणनीतियाँ और गतिविधियाँ जिनके माध्यम से ग्राहकों को आपके प्रोडक्ट के बारे में जानकारी दी जाती है और उन्हें ख़रीदने के लिए प्रेरित किया जाता है।
ये चारों तत्व मिलकर मार्केटिंग स्ट्रेटेजी की नींव बनाते हैं। चाहे आप Digital Marketing कर रहे हों या Traditional Marketing, 4Ps हमेशा Relevance रखते हैं।
1. Product (उत्पाद) – मार्केटिंग का पहला P
कोई भी मार्केटिंग तब तक संभव ही नहीं है जब तक आपके पास कोई उत्पाद (Product) न हो। प्रोडक्ट ही वह Core Element (केंद्र बिंदु) है जिसके चारों ओर पूरी मार्केटिंग रणनीति घूमती है। यह केवल किसी व्यवसाय का आधार ही नहीं होता, बल्कि यही वह कारण है जिसकी वजह से ग्राहक आपके ब्रांड से जुड़ते हैं। अगर प्रोडक्ट आकर्षक, उपयोगी और ग्राहक की ज़रूरतों को पूरा करने वाला है, तभी बाकी तीन Ps — Price, Place और Promotion — प्रभावी साबित होंगे।
प्रोडक्ट क्या होता है?
प्रोडक्ट केवल कोई भौतिक वस्तु (जैसे मोबाइल, कपड़े, कार, फर्नीचर आदि) ही नहीं होता, बल्कि इसमें सेवाएँ (Services) भी शामिल होती हैं, जैसे शिक्षा, बीमा, बैंकिंग या हॉस्पिटल सर्विसेज़। यानी, प्रोडक्ट का मतलब वह चीज़ है जिसे आप ग्राहक की ज़रूरतों और इच्छाओं को पूरा करने के लिए बाज़ार में पेश करते हैं।
प्रोडक्ट के प्रकार
- Consumer Product (उपभोक्ता उत्पाद): यह वे प्रोडक्ट हैं जिनका इस्तेमाल लोग अपनी दैनिक ज़िंदगी में करते हैं, जैसे कपड़े, साबुन, टूथपेस्ट या खाद्य पदार्थ।
- Industrial Product (औद्योगिक उत्पाद): ये वे प्रोडक्ट होते हैं जिनका इस्तेमाल फैक्ट्री, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट या अन्य उद्योगों में किया जाता है। उदाहरण: मशीनरी, रॉ मटीरियल, टूल्स आदि।
- Service Product (सेवा आधारित उत्पाद): इसमें वे सेवाएँ आती हैं जो लोगों की सुविधाओं या ज़रूरतों को पूरा करती हैं, जैसे शिक्षा, हेल्थकेयर, बैंकिंग, ट्रैवल एजेंसी आदि।
प्रोडक्ट से जुड़े मुख्य निर्णय
- डिज़ाइन और क्वालिटी: प्रोडक्ट जितना आकर्षक और टिकाऊ होगा, ग्राहक उतनी ही आसानी से उसकी ओर आकर्षित होंगे।
- ब्रांडिंग: केवल प्रोडक्ट अच्छा होना ही काफी नहीं है, उसके लिए एक मज़बूत ब्रांड पहचान बनाना भी ज़रूरी है।
- पैकेजिंग: अच्छी पैकेजिंग ग्राहक का ध्यान खींचती है और प्रोडक्ट को अलग पहचान देती है।
- लाइफ साइकिल: हर प्रोडक्ट का एक जीवन चक्र होता है — जन्म (Introduction), विकास (Growth), परिपक्वता (Maturity) और पतन (Decline)। कंपनियों को हर चरण के अनुसार रणनीति बनानी पड़ती है।
उदाहरण:
एप्पल (Apple) अपने iPhone को सिर्फ एक मोबाइल फोन के रूप में नहीं बेचता, बल्कि इसे एक प्रीमियम प्रोडक्ट और लक्ज़री एक्सपीरियंस के रूप में प्रस्तुत करता है। यही कारण है कि ग्राहक सिर्फ फोन की फ़ीचर्स के लिए नहीं, बल्कि उसकी ब्रांड वैल्यू और लाइफ़स्टाइल इमेज के लिए भी iPhone ख़रीदते हैं।
2. Price (मूल्य) – मार्केटिंग का दूसरा P
प्रोडक्ट चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, अगर उसकी कीमत (Price) सही तरीके से तय नहीं की गई तो वह बाज़ार में सफल नहीं हो पाएगा। ग्राहक हमेशा यह सोचता है कि “क्या यह प्रोडक्ट अपनी कीमत के हिसाब से वैल्यू देता है?”। यही वजह है कि प्राइसिंग स्ट्रैटेजी किसी भी मार्केटिंग मिक्स का अहम हिस्सा है।
प्राइस का महत्व
- कीमत ग्राहक की खरीदने की क्षमता (Purchasing Power) को प्रभावित करती है।
- यह कंपनी के मुनाफ़े (Profitability) को सीधे प्रभावित करती है।
- कीमत के आधार पर ही लोग किसी ब्रांड को प्रीमियम (Premium) या बजट (Affordable) कैटेगरी में देखते हैं।
प्राइस तय करने के तरीके
- Cost-Based Pricing (लागत आधारित मूल्य निर्धारण): प्रोडक्ट बनाने की लागत में मुनाफ़ा जोड़कर कीमत तय करना।
- Value-Based Pricing (मूल्य आधारित मूल्य निर्धारण): ग्राहक को जो वैल्यू महसूस होती है, उसी के आधार पर कीमत तय करना।
- Competition-Based Pricing (प्रतिस्पर्धा आधारित मूल्य निर्धारण): प्रतियोगियों की कीमत देखकर अपना दाम तय करना।
- Psychological Pricing (मनोवैज्ञानिक मूल्य निर्धारण): कीमत को इस तरह दिखाना कि वह कम लगे, जैसे ₹1000 की जगह ₹999।
उदाहरण:
- एप्पल (Apple): iPhone को प्रीमियम प्राइसिंग के तहत बेचता है, ताकि उसकी ब्रांड इमेज लक्ज़री बनी रहे।
- अमेज़न (Amazon): ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ₹499, ₹999 जैसी मनोवैज्ञानिक प्राइसिंग का इस्तेमाल करता है।
3 . Place (स्थान/वितरण) – मार्केटिंग का तीसरा P
जब प्रोडक्ट और कीमत तय हो जाती है, तो अगला कदम है उसे ग्राहक तक पहुँचाना (Distribution)। यही काम करता है Place। इसे सरल भाषा में कहें तो “सही प्रोडक्ट, सही ग्राहक तक, सही समय पर पहुँचाना ही Place है।”
Place का महत्व
- यह सुनिश्चित करता है कि ग्राहक को प्रोडक्ट आसानी से उपलब्ध हो।
- वितरण चैनल जितने बेहतर होंगे, ग्राहक अनुभव उतना ही अच्छा होगा।
- Place ब्रांड की Market Reach बढ़ाने में मदद करता है।
Place से जुड़े मुख्य निर्णय
- Distribution Channels (वितरण चैनल):
- Direct Selling (सीधे ग्राहकों को बेचना)
- Retailers और Wholesalers (दुकानदार और थोक व्यापारी)
- Online Platforms (Amazon, Flipkart, Websites)
- Supply Chain और Logistics: उत्पादों का स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट और डिलीवरी।
- Location Selection (स्थान चयन): कहाँ स्टोर खोला जाए, किन शहरों को टारगेट किया जाए।
उदाहरण:
- Domino’s Pizza: अपने आउटलेट्स और ऑनलाइन डिलीवरी सिस्टम के माध्यम से हर बड़े शहर में ग्राहकों तक पहुँचता है।
- Flipkart और Amazon: ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स के जरिए देश के हर कोने में प्रोडक्ट्स डिलीवर करते हैं।
4. Promotion (प्रमोशन) – मार्केटिंग का चौथा P
अब जबकि प्रोडक्ट तैयार है, कीमत तय है और वितरण चैनल मौजूद है, अगला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है Promotion यानी ग्राहकों तक जानकारी पहुँचाना। प्रमोशन वह प्रक्रिया है जिसके जरिए आप ग्राहकों को बताते हैं कि आपका प्रोडक्ट क्यों ख़ास है और उन्हें इसे क्यों खरीदना चाहिए।
प्रमोशन का उद्देश्य
- ग्राहकों को प्रोडक्ट के बारे में जागरूक करना।
- ब्रांड की इमेज बनाना और मजबूत करना।
- सेल्स बढ़ाना और ग्राहक की वफादारी (Customer Loyalty) हासिल करना।
प्रमोशन के तरीके
- Advertising (विज्ञापन): टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया, गूगल ऐड्स आदि।
- Sales Promotion: डिस्काउंट, ऑफर, कूपन और सीमित समय के डील्स।
- Public Relations (PR): प्रेस रिलीज़, इवेंट्स, स्पॉन्सरशिप।
- Direct Marketing: ईमेल, मैसेजिंग, कॉलिंग।
- Digital Marketing: SEO, कंटेंट मार्केटिंग, इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग।
उदाहरण:
- कोका-कोला (Coca-Cola): टीवी ऐड्स, बिलबोर्ड्स और बड़े स्पॉन्सरशिप के जरिए अपना प्रमोशन करता है।
- Nike: सेलिब्रिटीज़ और स्पोर्ट्स इवेंट्स का इस्तेमाल कर ब्रांड को प्रमोट करता है।
- Swiggy और Zomato: डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर कैची ऐड्स और डिस्काउंट ऑफर्स के ज़रिए प्रमोशन करते हैं।
4Ps का Digital Marketing में महत्व
आज की Digital Marketing की दुनिया पारंपरिक मार्केटिंग से काफी अलग है। ग्राहक अब सिर्फ दुकानों या ऑफलाइन विज्ञापनों पर निर्भर नहीं रहते, बल्कि वे इंटरनेट, मोबाइल ऐप्स और सोशल मीडिया के ज़रिए ही ब्रांड्स से जुड़ते हैं। ऐसे में, किसी भी व्यवसाय के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि वह अपनी मार्केटिंग रणनीतियों को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के हिसाब से Adapt (अनुकूलित) करे। यही कारण है कि 4Ps – Product, Price, Place और Promotion का डिजिटल संदर्भ (Digital Perspective) पारंपरिक संदर्भ से कुछ अलग हो जाता है।
Digital Perspective of 4Ps
- Product (डिजिटल प्रोडक्ट या सेवा):
डिजिटल दुनिया में प्रोडक्ट का मतलब केवल कोई भौतिक वस्तु नहीं रह गया है। अब यह वेबसाइट, मोबाइल ऐप, डिजिटल सेवाएँ या वर्चुअल प्रोडक्ट्स भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, ई-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म्स के कोर्स, ऑनलाइन बैंकिंग सर्विसेज़, या मोबाइल गेम्स भी प्रोडक्ट माने जाते हैं।- Features (फीचर्स) और User Experience (UX) यहाँ पर बहुत बड़ा रोल निभाते हैं।
- एक अच्छा डिजिटल प्रोडक्ट वही है जो उपयोगकर्ता को आसानी, सुरक्षा और सुविधाजनक अनुभव दे।
- Price (डिजिटल मूल्य निर्धारण):
डिजिटल मार्केटिंग में कीमत निर्धारण और भी लचीला (Flexible) हो गया है।- Online Pricing: प्रोडक्ट्स और सेवाओं की कीमतें सीधे वेबसाइट या ऐप पर दिखाई जाती हैं।
- Discounts & Offers: समय-समय पर ऑनलाइन डिस्काउंट और ऑफर्स ग्राहकों को आकर्षित करते हैं।
- Subscription Models: आजकल नेटफ्लिक्स, स्पॉटिफाई और अमेज़न प्राइम जैसी कंपनियाँ सब्सक्रिप्शन प्लान्स के ज़रिए कमाई करती हैं।
डिजिटल प्राइसिंग का फायदा यह है कि कंपनियाँ बहुत जल्दी ग्राहकों की प्रतिक्रिया देखकर अपने दाम बदल सकती हैं।
- Place (डिजिटल वितरण चैनल):
डिजिटल मार्केटिंग ने “Place” की परिभाषा बदल दी है। अब प्रोडक्ट्स को भौतिक दुकानों तक सीमित रहने की ज़रूरत नहीं।- Websites और Mobile Apps सबसे बड़े Distribution Channels हैं।
- App Stores (Google Play Store, Apple App Store) से सीधे लाखों ग्राहकों तक पहुँचा जा सकता है।
- E-commerce Platforms (Amazon, Flipkart, Myntra) भी Place का हिस्सा हैं जहाँ लाखों ग्राहक एक ही जगह पर उपलब्ध होते हैं। यानी अब ग्राहक को प्रोडक्ट खरीदने के लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं, बल्कि प्रोडक्ट डिजिटल चैनल्स के जरिए ग्राहक के पास आ जाता है।
- Promotion (डिजिटल प्रमोशन):
डिजिटल मार्केटिंग ने Promotion को बिल्कुल नए स्तर पर पहुँचा दिया है।- Social Media Marketing (Facebook, Instagram, Twitter, LinkedIn): यहाँ पर ब्रांड्स सीधे ग्राहकों से जुड़ सकते हैं।
- Email Marketing: व्यक्तिगत संदेशों के ज़रिए ग्राहकों को ऑफर और जानकारी दी जा सकती है।
- SEO (Search Engine Optimization): गूगल सर्च में टॉप पर आना प्रमोशन का एक बड़ा हिस्सा बन गया है।
- Influencer Marketing: डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर्स के जरिए प्रोडक्ट्स को प्रमोट करना।
यह तरीका ग्राहकों के बीच ब्रांड की विश्वसनीयता (Trust) बनाने में मदद करता है।
Example: Netflix (डिजिटल 4Ps का आदर्श उदाहरण)
- Product: Netflix का प्रोडक्ट एक स्ट्रीमिंग सर्विस है, जहाँ लोग मूवीज़ और वेब सीरीज़ देख सकते हैं।
- Price: Netflix विभिन्न Subscription Plans ऑफर करता है — Mobile Plan, Basic Plan, Standard और Premium।
- Place: यह पूरी तरह से डिजिटल चैनल्स पर आधारित है — Website और Mobile App के जरिए उपलब्ध।
- Promotion: Netflix अपने प्रमोशन के लिए Social Media Ads, Influencer Campaigns और YouTube Trailers का इस्तेमाल करता है।
यानी Netflix ने पारंपरिक मार्केटिंग से अलग होकर पूरी तरह डिजिटल 4Ps को अपनाया है और इसी वजह से वह दुनिया की सबसे बड़ी स्ट्रीमिंग कंपनी बन पाई है।
4Ps का व्यावहारिक उदाहरण
मान लीजिए आप एक नया ऑर्गेनिक टी ब्रांड लॉन्च करना चाहते हैं, तो आपको 4Ps के आधार पर अपनी पूरी मार्केटिंग रणनीति बनानी होगी। आइए समझते हैं,
- Product (प्रोडक्ट):
आपका मुख्य प्रोडक्ट होगा हर्बल और हेल्दी टी पैक, जिसमें केमिकल-फ्री और नैचुरल इंग्रेडिएंट्स होंगे। आप इसमें अलग-अलग फ्लेवर भी शामिल कर सकते हैं जैसे ग्रीन टी, तुलसी टी, लेमन टी, अदरक टी आदि। साथ ही, पैकेजिंग को आकर्षक और Eco-friendly (पर्यावरण-हितैषी) रखना भी बहुत ज़रूरी है ताकि ग्राहक आपके ब्रांड को केवल हेल्दी ही नहीं बल्कि जिम्मेदार (Responsible Brand) भी समझें। - Price (कीमत):
चाय का बाजार बहुत बड़ा है और इसमें सस्ते से लेकर महंगे ब्रांड तक मौजूद हैं। ऐसे में आपको अपनी चाय को प्रीमियम लेकिन किफायती (Affordable Premium) कैटेगरी में रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, आप 250 ग्राम पैक को ₹250-₹300 के बीच बेच सकते हैं, ताकि यह मिडिल क्लास और हेल्थ-कॉन्शियस लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध हो सके। साथ ही, आप सब्सक्रिप्शन प्लान (जैसे मासिक या साप्ताहिक पैकेज) भी शुरू कर सकते हैं। - Place (वितरण/स्थान):
आज के समय में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की सबसे ज्यादा डिमांड ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स पर होती है। इसलिए आपके प्रोडक्ट्स को Amazon, Flipkart, BigBasket, Jiomart जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर लिस्ट करना ज़रूरी है। इसके अलावा, आप अपने खुद का E-commerce Website भी बना सकते हैं ताकि सीधे ग्राहकों से जुड़ सकें।
साथ ही, आप हेल्थ स्टोर्स, जिम, योगा सेंटर्स और ऑर्गेनिक स्टोर्स के साथ भी टाई-अप कर सकते हैं ताकि ऑफलाइन डिस्ट्रीब्यूशन भी मजबूत हो। - Promotion (प्रमोशन):
प्रमोशन इस ब्रांड की सफलता की रीढ़ होगा। इसके लिए आप- सोशल मीडिया कैंपेन (Instagram, Facebook, Twitter): यहाँ पर हेल्दी लाइफस्टाइल और फिटनेस से जुड़े कंटेंट डाल सकते हैं।
- हेल्थ ब्लॉग्स और SEO: गूगल पर “Healthy Tea”, “Best Herbal Tea” जैसे कीवर्ड्स पर रैंक कराने के लिए ब्लॉग्स और आर्टिकल्स लिख सकते हैं।
- YouTube Reviews और Influencer Marketing: हेल्थ और फिटनेस यूट्यूबर्स या इन्फ्लुएंसर्स से अपने प्रोडक्ट की रिव्यू वीडियो बनवाना।
- Email Marketing: हेल्थ-कॉन्शियस ग्राहकों को ईमेल न्यूज़लेटर्स और डिस्काउंट ऑफर्स भेजना।
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निष्कर्ष:
तो दोस्तों कैसा लगा आपको हमारा यह आर्टिकल, इस आर्टिकल में हमने आपको 4Ps of Marketing. 4Ps का उपयोग कैसे करें? के बारे में विस्तार से बताया है, मार्केटिंग के 4Ps (Product, Price, Place, Promotion) किसी भी बिज़नेस की सफलता की रीढ़ हैं। अगर आप इन चारों को सही तरीके से प्लान और लागू करते हैं तो आपका ब्रांड निश्चित रूप से मार्केट में जगह बना लेगा।
डिस्क्लेमर:
यह ब्लॉग केवल शैक्षिक और जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दिए गए विचार सामान्य मार्केटिंग सिद्धांतों और रिसर्च पर आधारित हैं। किसी भी व्यवसाय में इन्हें लागू करने से पहले अपने बिज़नेस की आवश्यकता और विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. मार्केटिंग मिक्स के 4Ps क्यों ज़रूरी हैं?
क्योंकि ये बिज़नेस को प्रोडक्ट बनाने से लेकर उसे बेचने तक का रोडमैप देते हैं।
Q2. क्या 4Ps केवल प्रोडक्ट आधारित बिज़नेस के लिए हैं?
नहीं, ये सर्विस इंडस्ट्री (जैसे एजुकेशन, बैंकिंग, हॉस्पिटल) में भी लागू होते हैं।
Q3. क्या डिजिटल मार्केटिंग में भी 4Ps का उपयोग होता है?
हाँ, ऑनलाइन बिज़नेस में भी 4Ps उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
Q4. क्या 4Ps ही मार्केटिंग की पूरी रणनीति हैं?
नहीं, आजकल इसमें 7Ps (People, Process, Physical Evidence) भी जोड़े गए हैं।
4 thoughts on “4Ps of Marketing. 4Ps का उपयोग कैसे करें?”